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Difference between Greenhouse Effect and Global Warming in Hindi | ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग में क्या अंतर है !!
नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Greenhouse effect and Global warming” अर्थात “ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि हम जानते हैं कि ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग दोनों ही हमारे वातावरण को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. “लेकिन किस प्रकार और दोनों में अंतर क्या है?” ये सवाल सबके मन में बना रहता है. जिसका जबाब आज हम आपको देने की कोशिश करेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं जा का टॉपिक.
ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है | What is Greenhouse Effect in Hindi !!
ग्रीनहाउस प्रभाव एक बहुत जटिल प्रक्रिया के रूप में हमारे सामने है, जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह और वायुमंडल वातावरण, सूर्य की रेडिएशन, कणों और गैसों की जटिलताओं से गर्म हो जाता है।
जब सूरज की रेडिएशन का एक हिस्सा अंतरिक्ष में लौट जाता है, तो उससे पृथ्वी की सतह और वायुमंडल वातावरण सामान्य रहता है. लेकिन अब दिक्क्त यह है कि ग्रीनहाउस गैसों द्वारा गठित परत के कारण इनमें से सूरज की किरणों का कुछ हिस्सा वापस अंतरिक्ष में नहीं जा पाता है, जिसके कारण पृथ्वी का वातावरण और गर्म होता जा रहा है क्यूंकि वही हिस्सा गर्मी के शेष भाग को अवशोषित कर लेता है।
इन सबका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसें हैं क्यूंकि ये एक मोटा सर्कल बनाती हैं जिसके कारण सूरज की गर्मी अंतरिक्ष में वापस नहीं जा पाती है और इसी के कारण पृथ्वी पर तापमान बढ़ जाता है। जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है.
ग्लोबल वार्मिंग क्या है | What is Global Warming in Hindi !!
ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण ही पृथ्वी का तापमान दिन व दिन बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग का जन्म हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग ही वो है, जिसके कारण पृथ्वी भर की जलवायु परिवर्तन में अभूतपूर्व अंतर पैदा हुआ है.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही पीने के पानी से लेके सिंचाई के पानी तक की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ा है। क्यूंकि इसके कारण रेगिस्तान में बाढ़ भी आ सकती है तो वहीं दूसरी तरफ घने वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सूखा पड़ने जैसी सम्भवना भी है।
बर्फीले क्षेत्र अर्थात ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ते तापमान के साथ पिघल रहे हैं और साथ ही सिंचाई पर आधारित भारत जैसे विकासशील देशों में फसल चक्र में बदलाव का खतरा दिन व दिन बढ़ता जा रहा है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते किसी भी स्थान में कभी भी सूखा और किसी भी स्थान पर कभी भी बाढ़ आने की सम्भवना बढ़ती जा रही है.
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