नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “fundamental rights and directive principles” अर्थात “मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्त्वों” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्व क्या हैं और इनमे क्या अंतर होता है?”. सामान्य रूप से देखा जाये तो अधिकार का अर्थ किसी चीज के नैतिक या कानूनी राइट्स का होना होता है. दोस्तों आज हम जिस टॉपिक को लेके आये हैं उसमे हम “मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच के अंतर” को बताएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
मौलिक अधिकार क्या है | What is The Fundamental Right in Hindi !!
जैसा कि नाम से ही हम देख सकते हैं, कि “मौलिक अधिकार” का अर्थ किसी भी देश के नागरिक के मूल अधिकार का होना है. जिन्हे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित और समाज द्वारा मान्यता प्राप्त है. मौलिक अधिकार संविधान के द्वारा निहित हैं और जिन्हे कानून की अदालत में प्रवर्तनीय किया गया है जिसमे यदि किसी भी व्यक्ति के मूल अधिकार का उल्लंघन हुआ रहता है, तो वो अदालत जा कर उसके खिलाफ सहायता मांगने के लिए सक्षम होता है. इस प्रकार के अधिकार को मौलिक अधिकार कहा जाता हैं.
इस प्रकार के अधिकारों को सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू किया जाता है, फिर चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, नस्ल, मूल, आदि कोई भी क्यों न हो. मौलिक अधिकार ही वो अधिकार होते हैं, जिनके द्वारा नागरिक की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाती है, जिससे सभी नागरिक अपने अनुसार अपना जीवन जीने में सक्षम हैं.
मौलिक अधिकार कुछ इस प्रकार हैं:
- स्वतंत्रता का अधिकार
- समानता का अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
- शोषण के खिलाफ अधिकार
- एकान्तता का अधिकार
नीति-निर्देशक तत्त्व क्या है। What is Directive Principles in Hindi !!
किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण और विकास के लिए मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश तत्वों का होना बहुत जरूरी होता है। किसी भी राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व होते हैं। सबसे पहले इन्हे आयरलैंड के संविधान चलाया गया था। ये वो तत्व होते है, जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित किये गए थे। इन तत्वों का मुख्य उद्देश्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है.
Difference between Fundamental Rights and Directive Principles in Hindi । मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्व में क्या अंतर है !!
# “मौलिक अधिकार” का अर्थ किसी भी देश के नागरिक के मूल अधिकार का होना है. जिन्हे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित और समाज द्वारा मान्यता प्राप्त है. मौलिक अधिकार संविधान के द्वारा निहित हैं और जिन्हे कानून की अदालत में प्रवर्तनीय किया गया है जबकि नीति-निर्देशक तत्त्वों को न्यायालय का संरक्षण प्राप्त नहीं है, अतः नागरिक न्यायालय की शरण नहीं ले सकते हैं.
# मौलिक अधिकारों को कभी भी स्थगित या निलंबित किया जा सकता हैं, लेकिन नीति-निर्देशक तत्त्व को स्थगित या निलंबित नहीं किया जा सकता हैं.
# मौलिक अधिकारों को पूरा करवाने के लिए राज्य को बाध्य किया जा सकता है जबकि नीति-निर्देशक तत्त्वों के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है.
# मौलिक अधिकारों के अंतर्गत नागरिकों और राज्य के बीच के सम्बन्ध की विवेचना की जाती है; जबकि नीति-निर्देशक तत्त्वों में राज्यों के संबंध तथा उनकी अन्तर्राष्ट्रीय नीति की विवेचना होती है, क्यूंकि जहाँ मौलिक अधिकार का राष्ट्रीय महत्त्व पाया जाता है, वहाँ नीति-निर्देशक तत्त्वों का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व हो जाता है.
आशा हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से कुछ लाभ अवश्य मिला होगा और साथ ही आपको हमारा ब्लॉग पसंद भी आया होगा. यदि फिर भी आपको कोई त्रुटि दिखाई दे, या कोई सवाल या सुझाव आपके मन में हो. तो आप हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम आपकी उम्मीदों पे खरा उतर पाएं। धन्यवाद !!!