नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “EPF और GPF” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “EPF और GPF क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि हम जानते हैं, कि दोनों ही अकाउंट सेविंग के लिए होते हैं, लेकिन इनमे अंतर क्या होता है, आज हम आपको इसके विषय में जानकारी देने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
EPF क्या है | What is EPF in Hindi !!
EPF का पूरा नाम “Employee Provident Fund” होता है, ये अकाउंट उन कर्मचारियों के लिए होता है जो कंपनियों में काम करते हैं. इस अकाउंट को “कर्मचारी भविष्य निधि” के नाम से भी जाना जाता है. इस अकाउंट के लिए कंपनी में काम करने वाले एम्प्लोयी की सैलरी से एक निश्चित अमाउंट काट कर उसे प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन में निवेश किया जाता है. हर महीने का EPF = बेसिक सैलरी का 12% + डियरनेस अलाउंस या फिर 780 रुपए होता है.
नियम के अनुसार एक कर्मचारी जितना PF जमा करता है, उतना ही कंपनी को जमा करना चाहिए लेकिन अब कम्पनियाँ ऐसा नहीं कर रही हैं, क्यूंकि अब कंपनी CTC में खुद के द्वारा दी जाने वाली राशि में भी इसे जोड़ लेती है. जिससे एम्प्लोयी को नुकसान होता है. फ़िलहाल EPF की ब्याज दर 8.75 फीसदी चल रही है.
GPF क्या है | What is GPF in Hindi !!
GPF का फुल फॉर्म “General Provident Fund” है, ये भी एक प्रोविडेंट फंड अकाउंट का ही रूप है, लेकिन ये किसी भी कर्मचारियों के लिए नहीं मान्य है. इसका लाभ केवल उन्ही को मिलता है, जो सरकारी कर्मचारियों होते हैं और उन्हें भी इसका लाभ उनके रिटायरमेंट के वक्त ही मिल पाता है. यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी इस सुविधा का लाभ प्राप्त करना चाहता है, तो उसे अपनी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा इस अकाउंट में निवेश करना अनिवार्य होता है. GPF में एक निश्चित वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को योगदान देना अनिवार्य होता है.
GPF अकाउंट में सरकारी कर्मचारी को एक निश्चित इंस्टॉलमेंट को एक निर्धारित समय सीमा तक जमा करना होता है. GPF में नॉमिनी की सुविधा भी होती है अर्थात एक अकाउंट होल्डर अपने खाते को खुलवाते समय किसी को नॉमिनी भी बना सकता है. इसकी कुल जमा राशि उस अकाउंट होल्डर को उसके रिटायरमेंट के समय दी जाती है और इस दौरान अकाउंट होल्डर को यदि कुछ हो जाता है, तो ये धन राशि नॉमिनी को मिलती है.
GPF अकाउंट में एक और सुविधा उपलब्ध कराई जाती है अर्थात इस अकाउंट के जरिये एक कर्मचारी लोन भी ले सकता है और खास बात यह है कि इसके द्वारा मिले लोन पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है. एक कर्मचारी अपने पूरे करियर में इस प्रकार के अकाउंट के जरिये कितनी भी बार GPF से लोन ले सकता है यानी इसकी कोई निश्चित संख्या नहीं है.
Difference between EPF and GPF in Hindi | EPF और GPF में क्या अंतर है !!
# EPF का पूरा नाम “Employee Provident Fund”और GPF का पूरा नाम “General Provident Fund” है.
# EPF कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए चलाया गया provident fund अकाउंट है जबकि GPF सरकारी कर्मचारियों के लिए चलाया गया provident fund अकाउंट है.
# EPF का लाभ कर्मचारी के कंपनी छोड़ने पर मिलता है और GPF का लाभ कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मिलता है.
# EPF संगठित व असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए संचित निधि की व्यवस्था है जबकि GPF सरकारी कर्मचारियों के लिए संचित निधि की व्यवस्था है.
# EPF सिर्फ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए होता है जबकि GPF सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए मान्य है.
# EPF को वेतनभोगी कर्मचारियों का नियोक्ता खुलवाता है जबकि GPF सरकारी बैंक के कर्मचारियों के लिए ही खोला जाता है।
# EPF की वर्तमान ब्याज दर 8.75 फीसदी जबकि GPF की वर्तमान ब्याज दर 8 फीसदी होती है.
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