दोहा की परिभाषा | Definition of Doha in Hindi !!
दोहा एक प्रकार का अर्द्धसम मात्रिक छंद हैं. जिन्हे चार चरणों में रखा गया है. जिसमे इसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ रहती हैं और इसके द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ शामिल होती हैं. प्रथम और तृतीय चरण के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) का प्रयोग करना टाला जाता है. लेकिन यदि कोई दोहा बड़ा हुआ तो उसमे पंक्ति के शुरुआत में ज-गण का प्रयोग भी किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ द्वितीय तथा चतुर्थ चरण के आखिरी में एक गुरु और एक लघु मात्रा होना जरूरी होता है.
उदाहरण :
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥
बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंग |
डोर तोड़ अनजान पथ, उड़कर चली पतंग ||