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CMC हॉस्पिटल परिचय !!
दोस्तों नमस्कार , आज हम एक ऐसी संस्थान की बात कर रहे हैं जो कि एक अल्पसंख्यक और शोध पर आधारित है। जिसका नाम है क्रिश्चयन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल है जिनका संक्षिप्त नाम CMC (CMC) वेल्लोर है जो कि वेल्लोर में ही है इस अस्पताल की शाखा वेल्लोर के आसपास प्राथमिक और माध्यमिक व तृतीयक के रूप में उपस्थित है।
वेल्लोर जो कि तमिलनाडु भारत में है और वेल्लोर में सन 1900 में यह अस्पताल एक महिला डॉक्टर “इडा एस स्कुडर” जो कि अमेरिकी थी उन्होंने बनवाया था ।
CMC वेल्लोर ने इसमें पहली बार कॉलेज ऑफ नर्सिंग शुरू की थी इसके अलावा CMC द्वारा दुनिया में कई उपलब्धि हासिल की गई CMC में कई छुपे रोगों की सर्जरी और उनका निवारण दुनिया में पहली बार कोढ़ का इलाज कर पुनः निर्माण सर्जरी वेल्लोर के इस CMC से अस्पताल में ही शुरू की गई थी जो कि पहले ना मुमकिन मानी जाती थी।उसके बाद 1961 तक इस अस्पताल ने इतनी कुशलता हासिल कर ली की खुले दिल की सर्जरी कर मुकाम हासिल पा लिया और भारत में पहली बार इस संस्थान द्वारा एक चमत्कार किया गया जो कि एक किडनी ट्रांसप्लांट था ।
अंतत इस के द्वारा अस्थि मज्जा तक का एक व्यक्ति से दूसरे में निरूपित भी आसान हो गया और 2009 तक इन्होंने एक आश्चर्य जनक सर्जरी करना भी प्रारम्भ कर दिया जो असंगत किडनी का निरूपण करना है।
CMC हॉस्पिटल की स्थापना !!
इस अस्पताल की स्थापना एक अमेरिका की रहने वाली जोकि एक डॉक्टर जिसका नाम ईडा सोफिया स्कूडर था। इनका जन्म 1870में तंडीवनम में हुआ जो चेन्नई से 60 मील दूर है। जवान लड़की के रूप में उसने एक वचन लिया वह कभी अपने माता पिता के इसरो का पालन नहीं करेगी। 1978 में वे अमेरिका चले गए और वहां उन्होंने अपनी पढ़ाई स्टार्ट की उसके बाद उसके माता-पिता तो भारत वापस लौट आए पर वह वहीं पर रही। उसके बाद ईदा की मा बीमार हो गई उसी कारण ईदा को अमेरिका से वापस बुला लिया गया। इदा का सपना था कि वह गरीब बच्चों की मदद करें जरूरतमंदों की मदद करें और उनका इलाज मुफ्त में करें। इसी कारण में डॉ ईदा को दूसरों की मदद करना उसे अच्छा लगता था और इलाज के लिए किसी से पैसे नहीं लेती थी। 1 दिन एक जवान इधर से मदद मांगने से दरवाजे पर आया उन से मदद मांगी पर उनके पिता ने मदद करने से इंकार कर दिया पत्नी के लिए मदद मांगने आया था उसके बाद सुबह 24 वर्ष की है पता चला कि उसके कारण तीन महिलाओं और उनके बच्चों की मौत हो गई है। इसी कारण से डॉक्टर बनने का फैसला किया और वह डॉक्टर बनकर भारतीय लोगों की मदद करना चाहती थी
CMC हॉस्पिटल इतिहास | CMC Hospital History in Hindi !!
डॉ ईदा 1895 में अमेरिका चली गई डॉक्टर बनने का कोर्स करने के लिए। उसने वूमन कॉलेज ऑफ पेसलेवनिया में दाखिला लिया। उसने अपनी पढ़ाई नहीं रोक में पूरी की और 1899 तक बहुत ही अच्छे से डॉक्टरी करना सीख लिया था क्योंकि उसमें आत्मविश्वास और जुनून था | जुनून के कारण सबकुछ आसान लगने लगा और 1900 वेल्लोर में उसने एक सिंगल बेड क्लीनिक खोला | उसके बाद उसने 1902 के बाद 40 बेड का एक क्लीनिक खोला। 1903 तक उन्होंने महिलाओ को अपने साथ काम करने के लिए रखना स्टार्ट कर दिया और उनको अच्छे से काम से करना सीखना भी स्टार्ट कर दिया। 1918 में उन्होंने महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए खोला गया स्कूल शुरू कर दिया 1938 में सरकार द्वारा घोषित कर दिया गया कि विश्व विद्यालय प्रशिक्षण दे सकते हैं तो उसने क्या किया 1948 में एमएमबीएस कोर्श से प्रशिक्षण देना स्टार्ट कर दिया। 1945 तक उस कॉलेज में प्रेक्टिकल स्टार्ट हो गए और 1946 पर पहला भारत का नर्सिंग कॉलेज भी स्टार्ट हो गया। 1969 तक स्तानकोतर डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किया गया। और हर प्रकार के रोग का निवारण यहां होने लगा और काफी कम पैसों के अंदर यहां इलाज शुरू होने लगा।
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