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एटॉमिक क्लॉक (परमाणु घड़ी) क्या है ?
एक परमाणु घड़ी (Atomic clock) एक घड़ी की ही डिवाइस है जो परमाणुओं के विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव, ऑप्टिकल, या पराबैंगनी क्षेत्र में अपने टाइमकीपिंग तत्व के लिए एक आवृत्ति मानक के रूप में एक इलेक्ट्रॉन संक्रमण आवृत्ति का उपयोग करता है। एटॉमिक क्लॉक को सबसे सटीक, सही समय और आवृत्ति मानकों को लिए जाना जाता है, और अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवाओं के लिए प्राथमिक मानकों के लिए उपयोग में लाया जाता है, टीवी प्रसारण की लहर आवृत्ति को संभालने के लिए, और जीपीएस जैसे वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणालियों में इसको सबसे पहले उपयोग में लाया जाता है.
इसे अपने सबसे सही समय और सटीक समय के लिए जाना जाता है. इसे दुनिया की सबसे सटीक टाइम दिखने वाली घड़ी बताया गया है. ये एटम्स के वाइव्रेसन के हिसाब से समय को मापती है. NIST-F1,यूनाइटेड स्टेट्स का कहना है की ये एक मात्र ऐसी घड़ी होती है जिसने अभी तक के रिकॉर्ड में कभी एक सेकंड की भी गलती नहीं की है. न तो कम और नहीं अधिक समय दिखाती है ये एटॉमिक क्लॉक और ये रिकॉर्ड ३० मिलियन सालो से भी अधिक पुराण रिकॉर्ड है जो एटॉमिक क्लॉक ने बना के रखा हुआ है.
एटॉमिक क्लॉक (परमाणु घड़ी) कैसे काम करती है ?
एटॉमिक क्लॉक के काम करने के नियम परमाणु भौतिकी पर आधारित है; यह माइक्रोवेव सिग्नल का उपयोग करता है जैसे की जब वे ऊर्जा के लेवल को बदलते हैं तो परमाणुओं में से इलेक्ट्रॉन निकलना शुरू हो जाता हैं। शुरुआती एटॉमिक क्लॉक्स कमरे के तापमान पर आधारित थीं। लेकिन अब वर्तमान की एटॉमिक क्लॉक कुछ इस प्रकार से काम करती हैं जैसे की: सबसे सटीक परमाणु घड़ियां पहले लेजर के साथ धीमा करके और माइक्रोवेव से भरे गुहा में परमाणु फव्वारे का उपयोग करके जीरो तापमान के करीब परमाणुओं को ठंडा करती है। इसका एक उदाहरण एनआईएसटी-एफ 1 परमाणु घड़ी है, जो राष्ट्रीय प्राथमिक समय और संयुक्त राज्य अमेरिका के आवृत्ति मानकों में से एक मानी जाती है।
एटॉमिक क्लॉक का उपयोग उन प्रणालियों को समन्वयित करने के लिए किया जाता है जिनके लिए कोई भी प्रकार की गलती मान्य नहीं की जाती है, जैसे की: ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) नेविगेशन और इंटरनेट आदि. एटॉमिक क्लॉक का बहुत बड़ा ग्रुप बना के पूरी दुनिया के कई स्थानों में लगाया जाता है कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) को संभालता है.
यदि नियमित घड़ी की बात करें तो परमाणु घड़ी (एटॉमिक क्लॉक) ज्यादा उत्तेजना के साथ कार्य करती हैं. एटॉमिक क्लॉक दो इकाइयों या एक इकाई के बीच के दो स्टेट्स में अंतर के अनुसार कार्य करती है. जो ऊर्जा में परिवर्तन का कारन बनता है. जैसा की हमने देखा है की एक पैंडुलम संचालित घड़ी में जब पेंडुलम इधर उधर गति करता है तो उस घड़ी का समय भी उस पैंडुलम के अनुसार की दर्शाया जाता है जिसमे सटीक समय बताने में त्रुटि हो सकती है. लेकिन यदि बात एटॉमिक क्लॉक या परमाणु घड़ी की करें तो ये एटम्स के कम्पन के अनुसार समय बताता है जिसमे गलती होने की संभावना बिलकुल शून्य होती है.
१९४५ में इसीडोर रबी नामक कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर ने कहा की हम एटॉमिक वाइब्रेशन को समय के लिए उपयोग में ला सकते है जिसके लिए उन्होंने एटॉमिक बीम मैग्नेटिक रेजोनेंस का निर्माण किया. लेकिन चार साल बाद the National Bureau of Standards (वर्तमान में the National Institute of Standards and Technology के नाम से जानी जाती है) ने एटॉमिक क्लॉक का निर्माण किया जो अमोनिआ मोलेक्युल्स का उपयोग कर के चलती थी. NIST-F1, the United States’ के अनुसार अभी सीज़ियम एटम्स का उपयोग एटॉमिक क्लॉक में किया जा रहा है और वहीं पेरिस में इसी के समान एक एटॉमिक क्लॉक है जो सटीक समय बताने में सक्षम है. जिसे दुनिया की सबसे सटीक समय बताने वाली घड़ी माना गया है.