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अजीत डोभाल कौन है !!
अजीत डोभाल का पूरा नाम “अजीत कुमार डोभाल” है, जो एक रिटायर आईपीएस, PPM, KC, PM हैं, ये भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं. पहले इन्होने एक ऑपरेशन विंग के प्रमुख के रूप में एक दशक बिताया और उसके बाद, 2004-05 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में कार्य किया। इनकी देखरेख में, 29 सितम्बर 2016 को भारतीय लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल और 26 फरवरी 2019 को बालाकोट airstrike ऑपरेशन को पूर्ण किया गया था.
अजीत डोभाल जीवनी | Ajit Doval Biography in Hindi !!
असली नाम: अजीत कुमार डोभाल
उपनाम: अजीत डोभाल
जन्मदिन/ जन्म तिथि: 20 जनवरी 1945
जन्मस्थान (Place of Birth): घीड़ी बानेलस्यूँ, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत
आयु/ उम्र: 20 जनवरी 1945 से अभी तक
पेशा: रिटायर आईपीएस, PPM, KC, PM, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
राशि: कुम्भ राशि
घर: अजमेर, राजस्थान
पता: नई दिल्ली, भारत
धर्म: हिन्दू
जाति (Caste) : गढ़वाल
राष्ट्रीयता: भारतीय
शौक: पढ़ना, योग
अजीत डोभाल की शिक्षा (Education) !!
स्कूल (School): अजमेर मिलिट्री स्कूल, अजमेर, राजस्थान
कॉलेज / यूनिवर्सिटी: आगरा विश्वविद्यालय
शैक्षिक योग्यता: अर्थशास्त्र में एमए
अजीत डोभाल का परिवार (family) !!
पिता (Father) : मेजर जी एन डोभाल
माता (Mother) : पता नहीं
बहन (Sister) : पता नहीं
भाई (Brother) : पता नहीं
वैवाहिक स्थिति : विवाहित
गर्लफ्रेंड : कोई नहीं
पत्नी : अनु डोभाल
शादी की तारीख : पता नहीं
बच्चे : विवेक डोभाल, शौर्य डोभाल
अजीत डोभाल Body Measurement !!
लम्बाई (Height) : 5’5”
वजन (Weight) : 75 Kg
बालों का रंग : काला
आँखों का रंग : भूरा
शारीरिक माप !!
छाती : 40″
कमर : 34″
बाइसेप्स : 16″
अजीत डोभाल का इतिहास (History in Hindi) !!
अजीत का जन्म 20 जनवरी 1945 को घीड़ी बानेलस्यूँ, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत में एक गढ़वाली परिवार में हुआ. इनके पिता एक भारतीय थल सेना के अफसर थे, जिसके चलते इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर मिलिट्री स्कूल, अजमेर, राजस्थान से पूरी की और उसके बाद ये अपनी आगे की पढ़ाई के लिए आगरा विश्वविद्यालय गए, जहाँ इन्होने अपनी स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री अर्थशास्त्र में प्राप्त की.
अजीत डोभाल को दिसंबर 2017 में आगरा विश्वविद्यालय और क्रमशः मई 2018 में कुमाऊं विश्वविद्यालय से विज्ञान और साहित्य में, रणनीतिक और सुरक्षा मामलों के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एक मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
अजीत डोभाल के कुछ रोचक तथ्य | Ajit Doval facts in Hindi !!
# अजीत डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। इससे पहले शिवशंकर मेनन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।
# अजीत अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ही आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए।
# 2005 में अजीत ने अपनी इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ की उपाधि से रिटायरमेंट लेके एक सक्रीय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में अपना योगदान देने लगे.
# इन्हे 30 मई 2014 को भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए चुना गया. इनके पहले इस पद को शिवशंकर मेनन द्वारा संभाला जा रहा है.
# इन्हे 1968 में केरल कैडर से आईपीएस के रूप में चुना गया और उसके बाद 2005 में ये इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ के पद से रिटायर हुए.
# भारतीय सेना के एक सबसे महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान इन्होने एक अद्वितीय गुप्तचर की भूमिका निभाते हुए सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी को एकत्र किया और इस जानकारी के कारण सैन्य ऑपरेशन पूर्ण रूप से सफल रहा. इस ऑपरेशन के दौरान इनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की रही, जिसे खालिस्तानियों का भरोसा अपने नाम करते हुए उनकी तैयारियों की जानकारी भारत की सेना तक पहुंचाई और खालिस्तानियों के इरादे पुरे नहीं होने दिए.
# जिस समय 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक किया गया था उस दौरान अजीत को भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार के रूप में भेजा गया था। जिसके बाद, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक भी बनाया गया था।
# इनकी सदैव परफॉरमेंस उल्लेखनीय रही है, एक बार कश्मीर में उग्रवादियों के संगठनों ने घुसपैठ की, जिसके बाद इन्होने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को शांति की ओर मोड़ते हुए इस समस्या का समाधान निकाला.
# इन्होने भारत-विरोधी उग्रवादी संगठन के प्रमुख कूका पारे को अपना सबसे खास भेदिया बना लिया था, जो अविश्वसनीय था.
# जब ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति का तांडव मचाया था, उस समय अजीत ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास अपने नाम कर लिया था और इसके बल पर ललडेंगा को भारत सरकार के आगे छुक कर शांति का हाथ मिलाना पड़ा था. ये बात 80 के दशक की है.
# साल 1991 में, इन्होने रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू, जिनका खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने अपहरण कर लिया था, उन्हें बचाने के लिए एक सफल योजना बनाई थी.
# ये विवेकानंद फाउंडेशन जो कि कन्याकुमारी में स्थित है, उसके सदस्य भी हैं. इस फाउंडेशन की नींव राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के एकनाथ रानाडे ने रखी.
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