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आत्मा और परमात्मा में क्या अंतर है !!

हेलो दोस्तों… आज के आलेख में हम आपके लिए कुछ सामान्य लेकिन बहुत उपयोगी जानकारी लेके आये हैं जो आपको लोगों के कठिन सवालों के जवाब देने में और उनके सामने खुद को बेहतर साबित करने में मदद करेगा. जी हाँ दोस्तों कई बार ऐसा होता है की कोई आपको नीचा दिखाना चाहता है तो वो आपसे तर्क वितर्क करने लगता है और कुछ ऐसे सवाल पूछ लेता है जो बहुत सामान्य होते हैं लेकिन जवाब थोड़ा हिला देने जैसा। इसलिए हम अपने कई आलेखों में कुछ ऐसे ही टॉपिक को ला चुके है जो आपकी जानकारी को और तीव्र बनाएगा फ़िलहाल आज हम “आत्मा और परमात्मा में अंतर” पे बात करने जा रहे हैं.

आत्मा क्या है !!

हमे जहां भी कोई जीवित व्यक्ति, जीवित पशु, जीवित पक्षी दिखे या कोई भी ऐसी चीज जो जीवित हो तो समझ लीजिये की उसके अंदर आत्मा है. दुनिया में असंख्य लोग हैं जीवित हैं उन सभी के अंदर उनकी खुद की एक आत्मा होती है. आत्मा अमर है ये कभी मरती नहीं और जब कोई व्यक्ति मरता है तो आत्मा उसका शरीर छोड़ के किसी और प्राणी का शरीर धारण कर लेता है जो उस मृत्यु व्यक्ति के बाद पैदा होता है. आत्मा को छुआ, मह्सूस, सुंघा, काटा, मारा नहीं जा सकता.

परमात्मा क्या है !!

जैसा की हमने बताया की आत्मा अनगिनत है लेकिन यदि बात परमात्मा की जाये तो परमात्मा एक है. परमात्मा की बात आती है तो हमारे मन में कई सारे सवाल उड़ खड़े होते हैं कि परमात्मा आखिर है कौन ब्रम्हा या विष्णु या फिर महेश अर्थात शिव जी. लेकिन दोस्तों ये कोई अलग अलग नहीं है ये तीनो एक ही हैं और इन्हे ही हम परमात्मा कहते हैं. ये हर जगह विधमान है चाहें वो कोई बच्चा हो या चाहे कोई बूढ़ा. सब के अंदर परमात्मा का वास होता है. जैसे हम आत्मा को नहीं स्पर्श कर सकते वैसे ही हम परमात्मा को भी न तो स्पर्श कर सकते हैं और न ही उसे देख सकते हैं.

आत्मा और परमात्मा में अंतर क्या है !!

# आत्मा अनेक है लेकिन परमात्मा एक है.

# जिस किसी के अंदर ज्ञान, प्रयत्न, इच्छा, द्वेष, सुख, दुःख- ये छः गुण हैं उसके अंदर आत्मा है. आत्मा के बिना शरीर नस्वर है लेकिन आत्मा न होने के बाद में भी परमात्मा शरीर में स्थित होता है.

# आत्मा केवल जीवित लोगों में ही होती है जबकि परमात्मा हर एक जगह विधमान है जैसे कि: दीवार, दरवाजा, पत्थर की मूर्ति, आदि.

# आत्मा और परमात्मा का कभी जन्म नहीं हुआ है और न इनका कभी नाश हो सकता है.

# आत्मा एक अनु के बराबर छोटी होती है जबकि परमात्मा आकाश की तरह विशाल है जिसका कोई अंत नहीं है जिसका न कोई शुरुआत है न कोई अंत.

# आत्मा किसी के शरीर तक ही सीमित होती है लेकिन परमात्मा सर्वज्ञ है.

# आत्मा का ज्ञान एक सीमा तक होता है जबकि परमात्मा सर्वज्ञ है, उसे सब पता है वो अन्तर्यामी है.

# आत्मा की शक्ति शरीर की शक्ति पे निर्भर है लेकिन परमात्मा सर्वशक्तिमान है.

तो दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी किसी लगी और आपके कितना काम आयी हमे अवश्य बताएं और यदि आपके मन में कोई सवाल या सुझाव भी हो तो हमे बताना न भूले क्यूंकि हमे अच्छा लगेगा कि आप हमसे सम्पर्क कर के हमे और बेहतर बनाने में मदद करते हैं तो.

Ankita Shukla

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